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कुछ तो था उसमे कुछ ऐसा जो पूरी दुनिया की सैर करने के बाद अपने घर के तकिये पर सर रखने जैसा होता है। बहुत बहुत शुभेच्छाऐ इशिका आपको आपके ब्लॉग पेज के श्री गणेश के उपलक्ष पर आशा करता हूँ आप दिन दूनी रात चौगुनी तर्रकी करें।

~ तुम्हारा हितैषी जयंत

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